सीताबनी वाइल्डलाइफ रिज़र्व – रामनगर का प्राकृतिक और पौराणिक खजाना

Sitabani Wildlife Reserve


उत्तराखंड के नैनीताल जिले में रामनगर के पास स्थित सीताबनी वन्यजीव अभयारण्य (Sitabani Wildlife Reserve) एक प्राकृतिक और पौराणिक महत्व का स्थल है। यह अभयारण्य कॉर्बेट नेशनल पार्क के बफर जोन में, अमगढ़ी क्षेत्र में, कुमाऊँ हिमालय की तलहटी में बसा है। अपने घने साल के जंगलों, विविध वनस्पतियों और जीव-जंतुओं, और हिंदू महाकाव्य रामायण से जुड़े सांस्कृतिक महत्व के कारण यह स्थान पर्यटकों और प्रकृति प्रेमियों के बीच विशेष रूप से लोकप्रिय है। माना जाता है कि भगवान राम की पत्नी माता सीता ने अपने वनवास के कुछ दिन अपने पुत्रों लव और कुश के साथ इस जंगल में बिताए थे, जिसके कारण इसे “सीताबनी” नाम दिया गया। यह अभयारण्य न केवल वन्यजीव प्रेमियों और पक्षी अवलोकन के शौकीनों के लिए स्वर्ग है, बल्कि आध्यात्मिक और ऐतिहासिक महत्व के कारण भी प्रसिद्ध है।

स्थान और पहुँच
सीताबनी वन्यजीव अभयारण्य रामनगर से लगभग 10-18 किलोमीटर की दूरी पर, भंडारपानी गाँव के पास स्थित है। यह कॉर्बेट नेशनल पार्क के बफर जोन में आता है और इसकी सीमा एक तरफ कॉर्बेट नेशनल पार्क और दूसरी तरफ नैनीताल वन प्रभाग से मिलती है। अभयारण्य तक पहुँचने के लिए दो मुख्य प्रवेश द्वार हैं: टेढ़ा गेट और पावलगढ़ गेट।
सड़क मार्ग: दिल्ली से सीताबनी की दूरी लगभग 301 किलोमीटर है, जिसे AH2 राजमार्ग के माध्यम से 7-8 घंटे में तय किया जा सकता है। रामनगर से बस, टैक्सी, या निजी वाहन द्वारा आसानी से पहुँचा जा सकता है। भंडारपानी गाँव में मुख्य प्रवेश द्वार है, जो रामनगर बैराज से 18 किलोमीटर दूर है।
रेल मार्ग: निकटतम रेलवे स्टेशन रामनगर रेलवे स्टेशन है, जो अभयारण्य से 10-18 किलोमीटर दूर है।
हवाई मार्ग: निकटतम हवाई अड्डा पंतनगर हवाई अड्डा है, जो लगभग 121 किलोमीटर दूर है। दिल्ली का इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा भी एक विकल्प है।
प्रवेश और नियम: सीताबनी कॉर्बेट टाइगर रिजर्व का हिस्सा नहीं है, इसलिए इसके लिए कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के नियम लागू नहीं होते। सीताबनी वन विभाग प्रवेश की अनुमति देता है, और जीप सफारी के लिए पहले से बुकिंग की सलाह दी जाती है। प्रवेश शुल्क में प्रति वाहन 250 रुपये और प्रत्येक भारतीय नागरिक के लिए 100 रुपये शामिल हैं।

प्राकृतिक सौंदर्य और जैव-विविधता
सीताबनी वन्यजीव अभयारण्य अपनी समृद्ध जैव-विविधता और प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है। यहाँ घने साल, शीशम, कंजू, ढाक, हल्दू, पीपल, आम, और रोहिणी जैसे वृक्षों के साथ-साथ 600 से अधिक प्रजातियों की वनस्पतियाँ, बाँस, जड़ी-बूटियाँ, और आर्किड पाए जाते हैं। यह अभयारण्य रॉयल बंगाल टाइगर, भारतीय तेंदुए, एशियाई हाथी, चीतल, सांभर, बार्किंग डियर, जंगली सूअर, और किंग कोबरा जैसे वन्यजीवों का निवास स्थान है। हाल के आंकड़ों के अनुसार, यहाँ लगभग 35 रॉयल बंगाल टाइगर मौजूद हैं। इसके अलावा, यह क्षेत्र ट्रांस-हिमालयन पक्षी गलियारे का हिस्सा है, जो इसे 500 से अधिक देशी और प्रवासी पक्षी प्रजातियों का स्वर्ग बनाता है, जैसे ग्रेट हॉर्नबिल, इंडियन पिट्टा, ओरिएंटल व्हाइट-आई, एमराल्ड डव, और रेड वाटल्ड लैपविंग। ठंडे महीनों में हिमालयन ब्लैक बेयर, हिमालयन वीज़ल, येलो-थ्रोट पाइन मार्टन, हिमालयन गोरल, और हिमालयन सेरो जैसे हिमालयी जानवर भी यहाँ आते हैं।

सीताबनी का परिदृश्य पर्णपाती जंगलों, झाड़ियों, घास के मैदानों, और छोटी नदियों और गहरी घाटियों से युक्त है। अभयारण्य के संस्थापक अभिषेक राय ने बंजर भूमि को एक समृद्ध जंगल में बदलने के लिए बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण, जल संचयन, और मिट्टी संरक्षण के प्रयास किए। उन्होंने भारतीय अंजीर, जामुन, जंगली आम, भिमल, और जैकफ्रूट जैसे फलदार वृक्ष लगाए, जो पक्षियों और जंगली शाकाहारियों को आकर्षित करते हैं। कृत्रिम जलाशयों ने मछलियों, उभयचरों, और कछुओं को आश्रय दिया, जिससे यह क्षेत्र जैव-विविधता का केंद्र बन गया।

पौराणिक और सांस्कृतिक महत्व
सीताबनी का नाम माता सीता के नाम पर पड़ा है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि उन्होंने अपने वनवास का कुछ समय अपने पुत्रों लव और कुश के साथ इस जंगल में बिताया था। इस क्षेत्र में एक प्राचीन शिव मंदिर और एक आश्रम भी है, जो इसे धार्मिक महत्व प्रदान करता है। यह मंदिर पर्यटकों और तीर्थयात्रियों के लिए एक प्रमुख आकर्षण है। सीताबनी को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा संरक्षित और प्रबंधित किया जाता है, जो इसके ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को और बढ़ाता है।

पर्यटन और गतिविधियाँ
सीताबनी वन्यजीव अभयारण्य पर्यटकों के लिए कई गतिविधियाँ प्रदान करता है:
1. जीप सफारी: सीताबनी में जीप सफारी सबसे लोकप्रिय गतिविधि है, जिसके लिए सीताबनी वन विभाग से अनुमति ली जाती है। यह सफारी टाइगर, तेंदुए, हाथी, और अन्य वन्यजीवों को देखने का अवसर देती है। यह क्षेत्र साल भर खुला रहता है, और यहाँ वाहनों की संख्या पर कोई प्रतिबंध नहीं है।  [
2. पक्षी अवलोकन: यह क्षेत्र पक्षी प्रेमियों के लिए स्वर्ग है, जहाँ 600 से अधिक पक्षी प्रजातियाँ देखी जा सकती हैं। यह ट्रांस-हिमालयन पक्षी गलियारे का हिस्सा है, जो इसे प्रवासी पक्षियों के लिए महत्वपूर्ण बनाता है।
3. प्रकृति भ्रमण और ट्रेकिंग: सीताबनी में जंगल के अंदर पैदल भ्रमण की अनुमति है, जो इसे कॉर्बेट टाइगर रिजर्व से अलग बनाता है। यहाँ की छोटी नदियाँ और घाटियाँ प्रकृति प्रेमियों के लिए आकर्षक हैं।
4. मछली पकड़ना (एंगलिंग): सीताबनी की छोटी नदियों में मछली पकड़ने की सुविधा उपलब्ध है, जो पर्यटकों के लिए एक रोमांचक अनुभव है।
5. शिव मंदिर दर्शन: सीताबनी में स्थित प्राचीन शिव मंदिर धार्मिक पर्यटकों को आकर्षित करता है। यहाँ का आश्रम भी विश्राम के लिए उपयुक्त है।

इको-टूरिज्म और संरक्षण
सीताबनी वन्यजीव अभयारण्य को अभिषेक राय ने एक बंजर पहाड़ी को हरियाली में बदलकर स्थापित किया। उन्होंने स्थानीय समुदाय को वन्यजीव पर्यटन के माध्यम से रोजगार प्रदान किया, जिससे सतत संरक्षण और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिला। यह अभयारण्य टाइगर, तेंदुआ, और पक्षी गलियारे के रूप में रणनीतिक महत्व रखता है, जो कॉर्बेट नेशनल पार्क और नैनीताल वन प्रभाग को जोड़ता है। यहाँ जैव-विविधता को बढ़ाने के लिए जल संचयन, जैविक खेती, और स्थानिक वृक्षारोपण जैसे प्रयास किए गए हैं। अभयारण्य में हिमालयी खनिज जल और जैविक सब्जियाँ भी उपलब्ध हैं, जो पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र हैं।

यात्रा के लिए समय और सुझाव
– सर्वश्रेष्ठ समय: सीताबनी की यात्रा के लिए अक्टूबर से जून सबसे अच्छा समय है। मानसून (जुलाई-अगस्त) में भारी बारिश के कारण सड़कें क्षतिग्रस्त हो सकती हैं, इसलिए इस दौरान यात्रा से बचें।
– प्रवेश शुल्क: वाहन प्रवेश के लिए 250 रुपये और प्रत्येक भारतीय नागरिक के लिए 100 रुपये। प्रकृति गाइड साथ ले जाना अनिवार्य है।

– सुझाव:  
– खाकी, जैतूनी हरा, या अन्य प्राकृतिक रंगों के कपड़े पहनें, ताकि जंगल के साथ घुलमिल जाएँ।
– पानी, नाश्ता, और आवश्यक सामान साथ रखें, क्योंकि यहाँ दुकानें नहीं हैं।
– वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 और भारतीय वन अधिनियम, 1927 का पालन करें।
– गैर-शाकाहारी भोजन और मादक पदार्थों का उपयोग वर्जित है।
– पालतू जानवरों को साथ न लाएँ।
– जंगल में शोर न करें और पर्यावरण का सम्मान करें।

आसपास के अन्य आकर्षण  
1. कॉर्बेट नेशनल पार्क: सीताबनी से 15-18 किलोमीटर दूर, यह भारत का पहला राष्ट्रीय उद्यान है, जो टाइगर और अन्य वन्यजीवों के लिए प्रसिद्ध है।
2. गर्जिया देवी मंदिर: रामनगर से 14 किलोमीटर दूर, कोसी नदी के बीचों-बीच स्थित यह मंदिर धार्मिक और पर्यटक आकर्षण है।
3. कॉर्बेट फॉल्स: कालाढूंगी से 4 किलोमीटर दूर, यह एक शांत और सुंदर झरना है।
4. कॉर्बेट म्यूज़ियम: कालाढूंगी में जिम कॉर्बेट के बंगले में स्थित, यह म्यूज़ियम उनकी स्मृतियों को समर्पित है।


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